Friday, July 2, 2010

इंतज़ार

घर सजाने का यह सामान जुटअ लाये हैं हम
इस इंतज़ार में की आये कोई मेहमान कभी

वोही चुनिन्दा से चेहरे वोही पहचान के लोग
किसी को देख कर तो हो ये नज़र हैरान कभी


अपना भी आँगन झिलमिलाये चांदनी की तरह
शब्-इ-तन्हाई पैर होय तो यह एहसान कभी


बड़ा है चर्चा जिसका हर गली हर गुलशन में
उस हसीं शै से अपनी तो हो पहचान कभी



घर सजाने का यह सामान जुटअ लाये हैं हम
इस इंतज़ार में की आये कोई मेहमान कभी



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